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जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तुम्हारी आँखें...

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  तुम्हारी आँखें... न जाने कितनी बातें करती हैं मुझसे, यूं लगता है, जैसे मुझको मुझसे ही छुपाए रखी है..! जब भी देखती हूं मैं तुम्हारे आँखों में, बस देखती ही रह जाती हूं, तुम्हारी बोलती सी आँखें, यूँ लगता है जैसे, बहुत सी बातें करती हैं मुझसे..! तुम्हारी चंचल आँखों में, एक पूरी किताब नजर आती है मुझे, लिखा हो तुमने जैसे उस किताब में, शब्द-दर-शब्द मेरे ही फसाने, मैं औब कुछ भूल कर ज्यों, पढती ही चली जाती हूँ, तुम्हारी आँखों में अपने तराने..!! तुम्हारी आँखों में मुझे, मेरी ही तस्वीर नजर आती है, जैसे तुमने बनाए हो तस्वीर मेरी, मेरे ही पसन्दीदा सारे रंगों से, और मैं खो सी जाती हूं मगन होकर, निहारने में अपनी तस्वीर, तुम्हारी आँखों में..!!! तुम्हारी आँखें... न जाने कितनी बातें करती हैं मुझसे, यूं लगता है, जैसे मुझको मुझसे ही छुपाए रखी है..!!!

फिक्र

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  हम उनकी ही फिक्र क्यूँ करते हैं जिन्हे हमसे कोई मतलब ही नही.......     अक्सर यही होता है....हम न चाहते हुए भी उनके लिए ही सोचते हैं, जो हमारी सोच में रहने के लायक ही नही...

रिश्ते की डोर

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  किसी भी रिश्ते की खुबसुरती तभी बरकरार रहती है, जब उसे पुरी इमानदारी से निभाई जाए..! रिश्ता चाहे कोई भी हो, वो कच्चे धागे सा ही होता है, जो हल्की सी खिंचातानी में भी टूट जाता है, और फिर लाख कोशिश कर लो फिर पहले सा जुड़ता नही है, उसमें गाँठ आ ही जाता है..! इसलिए रिश्तों को पुरे दिल से शिद्दत से ही निभाना चाहिए...!! बडी़ ही नाजुक सी डोर है रिश्ते की, जरा सी खींची नही की, अब टूटी, तब टूटी...||