वक्त तुम्हारे साथ
वक्त देने में और वक्त बिताने में बहुत फर्क है, मैं तुम्हारा वक्त नही चाहती हूँ, बल्कि तुम्हारे साथ वक्त बिताना चाहती हूँ. मुझे तुम्हारे साथ वक्त के हर लम्हे को जीना है, महसुस करना है तुम्हारे साथ में गुजरते हुए वक्त को, मैं चाहती हूँ कि तुम्हारे साथ जिया हुआ वक्त का हर लम्हा मुझमें ही कहीं रच-बस जाए. मैं चाहती हूँ कि जब तुम मेरे साथ रहो, तो मैं वक्त के उस लम्हे को रोक कर रख लूँ, हमेंशा-हमेशा के लिए,