क्यो फरियाद करना..


 फिर क्या मिन्नत,

क्या दुआ और क्या फरियाद करना

खता गर है तो खता सही

क्या खता को यूँ याद करना

गुजरी बातें, गुजरे लम्हे

पल जो बिछड़ गए

क्या उन पलों के दर्द में 

खुद को बर्बाद करना

रह गई जो मोड़ कहीं पीछे

क्या उस रास्ते पर फिर से मुड़ना

अजनबी जो जिन्दगी में आए

क्या उनके छोड़ जाने गम करना 

जो साये हुए ही नही कभी अपने

क्या उन सायों के पीछे भागना

हाथ जो छुडा़ गए बीच सफर में

क्या उनके लिए पलके भिगोना..!!

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