प्रेम और देह की चाहत

 प्रेम तो तभी खत्म हो जाता है, जब प्रेम के बीच में देह की चाहत आ जाती है, क्योकि प्रेम जो सच्चा और आत्मिक होता है, उसमें देह के लालसा की तो गुंजायश ही नही रहती.

जिस प्रेम में देह के लिए चाहत आ जाए वो प्रेम खोखला और मृतप्रायः हो जाता है.

क्योंकि सच्चे और पवित्र प्रेम में वासना के लिए कोई स्थान नही है, प्रेम तो सींचीत होता है नेह और स्नेह से जिसमें एक दुसरे के लिए वात्सल्य होता है करूणा और ममता होता है.

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