हाँ मैं बदल रही हूँ
कुछ यादें हैं तुम्हारी...
जिन्हे दिल से निकालने में लगी हूं,,
कुछ बातें हैं तुम्हारी...
जिन्हे भूलाने में मैं लगी हूं,,,
तेरी हसरत रही होगी शायद...
टूटता देखे तू मेरे किरदार को,,,
हां दर्द तो बहुत हुआ...
दूर होकर दिल को तेरे आरजु से,,,
पर तू फिकर न कर..
कि अब मैं संभल रही हूँ मुसलसल,,,
हां...
शायद मैं भी अब बदल रही हूं..!!
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