जिन्दगी तब हुआ करती थी

 जिन्दगी

तब जिन्दगी हुआ करती थी...

जब इसमें शामिल तुम थे..

तुम्हारी बातें थी,,

तुम्हारे एहसास थें...

तुम्हारे बाद जिन्दगी..

कभी जिन्दगी न रही...

जिन्दगी के नाम पर बस,,

जिन्दगी का आवरण ही रह गई...

और उस आवरण को,,,

ओढे रखना...

ताउम्र की मजबुरी ही हो गई...!!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दिसम्बर और जनवरी सा रिश्ता हमारा

क्यो फरियाद करना..

ये इश्क ही तो है...