तुझ बिन आराम नही


 नीन्द, चैन, सुकून, आराम भला क्या होता है,

तुम्हारे बाद रिश्ता कुछ न रहा इनसे अब हमारा..

दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी हमारी कभी सुकून-ए-दिल से,

तुम क्या आ गए जिन्दगी में हमारी,

हम अपना नींद चैन सब गंवा बैठे,

हर घडी़ हर पहर कुछ गुम सा लगता है,

न जाने आँखों को हमारे, किसका इन्तजार रहता है,

कभी बेचैनी बेवजह ही सताने को आ जाती है,

कभी उनींदी सी आँखों में ख्वाब कुछ मचल जाते हैं,

उफ्फ बडे़ बेरहम से हो चले हैं हालात दिल के अब,

समझना गवारा नही दिल को अब कोई भी बात,

ख्यालों पर भी अब हर पल कब्जा तुम्हारा ही है,

कुछ पल सुकून के मिले कभी,इस बात को भी तरस से गए हैं हम..

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