तेरे प्रेम रंग में

 रंग कई है यूँ तो जमाने में मन को मोहते,

पर मैं तेरे ही रंग में रंगना चाहती हूँ,

तेरे प्रेम का रंग,

चाहती हूँ मैं,

जब लगे मुझे तेरे प्रेम का रंग,

कभी उस रंग से न कर पाऊँ,

मैं खुद को अलग

धानी शुष्क सा तेरा रंग प्रेम का महका रहे मुझमें हरदम

वो रंग जो चाह कर भी कोई

न हटा सके मुझसे,

जीवन भर मैं रंगती ही चली जाऊँ,

तेरे प्रेम के रंग में...!

ऐसे पक्के रंग की हूँ मैं अभिलासी कि

तेरे प्रेम रंग पर कोई दूजा और रंग चढ़ पाए..!!




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