नही होती मैं अकेली

जब भी मुझे ये लगता है कि अब मैं अकेली पड़ चुकी हूँ तुम बिन, आँखें बन्द कर सोचती हूँ तुम्हे, और फिर तुम्हारी यादों के सफर पर मैं निकल पड़ती हूँ, तब न मैं अकेली होती हूँ न मेरी सोच अकेली होती है, बस तुम्हारा कब्जा होता है मुझ पर और मेरी यादों पर, मेरी सोच पर और मेरे हर एहसास पर....

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