अब भी याद है मुझे


 मुझे अब भी याद है तुम्हारा मुझसे मिलना यूँ पहली बार,

सच कहूँ तो तुम्हारा मुझसे मिलना मात्र संयोग नही है,

अवश्य ही सृष्टि ने कुछ तो सोच ही रखी थी, हम दोनों के लिए..कोई तो योजना रही ही होगी उस रब की...

तुम्हे चाहना, न चाहना, भला मेरे बस की बात कहां थी,

दिल ने तुम्हे देखा और स्वीकृति की मुहर लगा दी,

तुम्हे छोड़ फिर किसी और के बारे में सोच भी ना सका...

कैसे और कब दिल तुम्हारा हो गया, मुझे पता तक न लग सका..

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