ये कैसा रिश्ता है
ये कैसा रिश्ता है जो तुम्हारे और मेरे बीच है,
तुम मेरे साथ न होकर भी हर लम्हा मेरे साथ हो,
तुमसे बाते न भी हो तो, मैं तुम्हे ही सोच रही हूँ,
आँखें बन्द करती हूँ तो, तुम्हे महसुस करती हूँ,
न तुमने कुछ कहा है, न मैने कुछ कहा है,
फिर भी यूँ लगता है जैसे हम दोनो ने,
कुछ वादे कर लिए हैं एक दुसरे से,
और जिन्हे पुरी शिद्दत से निभाने में मै लगी हुई हूँ,
तुम्हे सोचती हूँ तो, तुम्हारा स्पर्श महसुस करती हूँ,
ये कैसा जज्बात है, तुम्हारे और मेरे दरम्या,
जिसे न कभी तुमने बयां किया है न मैने कभी,
फिर भी यूँ लगता है कि बहुत कुछ है ऐसा,
अनकहा और अनसुना हम दोनो के बीच में,
जो बाँधे हुए है हम दोनो को एक डोर से,

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें