भाग्य और प्रेम


 अक्सर यही होता आया है जग में,

जिससे प्रेम बेहिसाब, बेइन्तहा हो जाता है,

उसे हमारे भाग्य से ही दूर कर दिया जाता है,

किसी न किसी कारण से भी,

नियती अपने हाथों कुछ दोष नही लेती,

बस जरिया कुछ भी बना देती है,

हमें हमारे प्रेम से दूर करने के लिए..!!


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दिसम्बर और जनवरी सा रिश्ता हमारा

क्यो फरियाद करना..

ये इश्क ही तो है...