नारायणी तू भव तारिणी


 कण-कण में हो तुम विराज,

तुम ही से है सृष्टि सारी,

तुम से है ही मुझे सारे,

आस और विश्वास,

नारायणी भी तू, शक्ति भी तू

दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, काली

तुझमें ही निहित नौ रुप है,

तू ही जग जननी, तू ही भव तारिणी है,


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