रात ठहर गई है मुझमें


 बस इक आस में ...

तेरे वादे सच हो जाए , 

इस एहसास में..

तेरा मुझमें होने के, 

झूठी एक कयास में...

यूं ही सोंचते...

ये रात ठहर गई है मुझमें...!!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दिसम्बर और जनवरी सा रिश्ता हमारा

क्यो फरियाद करना..

ये इश्क ही तो है...