तुमसे मैं चाहती हूँ ये प्रेमोपहार
उफ्फ कितना सुकून, कितना इतमीनान है तुम्हारी आँखों में,
देखती हूँ जब भी मैं इनमें, बस इनमें खो सी जाती हूँ मैं,
तुम्हारी बातों में जैसे कोई सम्मोहन, आकर्षण सा है,
मैं तुम्हारी बातों के इंद्रजाल में ज्यों उलझती सी चली जाती हूँ,
मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए, मेरे मन नें बस तुम्हारे साथ की कामना की है,
मुझे तुमसे प्रेमोपहार में बस तुम्हारा साथ चाहिए,
तुम्हारा निश्छल, पारदर्शी, और सम्पूर्ण प्रेम चाहिए,
तुमसे बस इस बात का आसरा और प्रतिज्ञा चाहिए कि
आजीवन तुम्हारे हृदय पर मेरा आधिपत्य हो,
और किसी वस्तु की मुझे कोई चाह नही तुमसे,
तुम्हारा सम्पूर्ण प्रेम और प्रीत ही मेरी किमती और अमुल्य सम्पत्ति है...

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