कभी चाहा नही हमने
कभी चाहा नही हमने...
कि यूं दूर तुमसे हो जाएँ...
वक्त के हाथों यूँ मजबूर हो जाएँ..
तुमसे दूर होकर तुम्हारा दिल दुखाएँ...
कभी चाहा नही हमने...
कि तुम कभी हम पर बेवफाई का...
या दिल दुखाने का इल्जाम लगाओ...
और तुम्नारे तोहमतों से दिल हमारा दुखे..
पर शायद सच्चाई यही है कि..
कहाँ होती है पूरी वो बात..?
जो हम चाहते हैं..जो हम सोंचते हैं...

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