अगर तुम न मिले होते
अक्सर मैं सोंचती हूँ..
अगर तुम ना मिले होते तो...
मैं कितनी चीज़ों से वंचित रह जाती....
वो शब्द ,वो वक़्त, ये तन्हाई, वो इश्क़ ,
वो जस्तुज़ू, वो लम्हे , वो राते ,वो बातें,
वो नज़र, वो अहसास, वो अल्फाज...
और ये कमबख्त यादें...
और ना जाने कितने एहसास..
जिनसे मैं रूबरू तक न हो पाती...
कितनी गैर मुकम्मल सी होती..
मेरी तन्हा जिन्दगी...

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