बहुत कुछ है बाकि अब भी


 कहने को बहुत कुछ अब भी है बाकी तुमसे,

पर कह नही सकती...

दिल में बिखरी पडी़ हैं बहुत सी बातें तेरी अब भी,

पर तुमसे सुना भी नही सकती...

यहाँ-वहाँ हर जगह, हर शय में है दिखती तस्वीर तुम्हारी,

पर मैं तुमसे रूबरू होने की सोच भी नही सकती...

तुम बिन कितनी तन्हा मैं हो गई हूँ,

चाह कर भी तुमसे हालत अपने दिल की मैं बता नही सकती....

मिलने की तुमसे, चाहत अब भी बरकरार है मेरे दिल में,

पर मैं तुमसे न मिलने की कभी दुआ कर रही हूँ...

तुम, तुम्हारा प्यार, अब दिवास्वपन सा लगने मुझे लगा है,

और ये सपना तुम्हारा हमेंशा सपना ही बना रहे,

दिल से ये आरजु करने मैं लगी हूँ..!!


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दिसम्बर और जनवरी सा रिश्ता हमारा

क्यो फरियाद करना..

ये इश्क ही तो है...