तुम्हे खुबसुरत लिखा है..
लगता है,
अब फूल सारे चमन के, मुझसे नाराज हो जायेंगे,
दरकिनार कर इनकी मनमोहक खुशबू को,
इनकी खुबसुरती को,
मैंने तुम्हे खुबसुरत लिखा है....
इठलाती नदियाँ, बहते पवन के झोंके,
सारे नजारे, सारी खुबसुरत वादियाँ, मुझे मुँह चिढायेंगे,
दरकिनार कर इनके रमणिक, वर्णनिय अफशानों को,
मैंने तुम्हारी बातें लिखी है....
पन्ने दर पन्ने पर बस तुम्हे लिखा है,
तुम्हारी बातें, बातों में खुबसुरती,
बस इन पर ही सारे शब्दों का माला पिरोया है...!!

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें