ये इश्क ही तो है...


 काले अंधियारे रात में...

चाँद के चमकीले उजियारे में..

सुहानी सर्दीली मौसम में..

एकटक खडे़ आसमाँ को तकना..

कैसे कहूँ,,, ये इश्क नही...!


व्याकुल मन ....बेचैन पल...

तुम्हारा बेसबब ख्याल...

चाँद में प्रतिबिम्बीत,,

तुम्हारा अक्श..

बरबस तुम्हारी ओर,,

खिंचता पागल मन...

कैसे कहूँ ,,,,ये इश्क नही ..!!


कुछ रेशमी सी यादें तुम्हारी,,

पलकों को भिगो सी जाती है.. 

पिघलती चाँदनी में,,

विचरण करते अधजगे से कुछ...

ख्वाब मेरे....

कैसे कहूँ....ये इश्क नही है...!!!

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