नही बदलेगा मेरा प्रेम
मुमकिन है कि ये वक्त बदल जाए,
एक दिन ऐसा भी हो कि प्रकृति भी बदलाव का मन बना ले,
धरती, गगन बदल जाए,
नदियाँ, पहाड़, पर्वत भी बदल जाए,
हवा भी बहने से कर दे मना,
चाँद, सूरज, तारे भी बदल जाए,
तब भी सुनो,
जो नही बदलेगा कभी, वो होगा मेरा प्रेम,
जो है सिर्फ तुम्हारे लिए,
मेरे मन के हर कोने में व्यवस्थित है साधिकार, निरंकुश,
और मैं इससे भी कहीं ज्यादा बढकर करना चाहती हूँ,
प्रेम तुमसे..... इतना ज्यादा कि...
एक दिन प्रेम की परिभाषा ही हम दोनों में सिमट कर रह जाए...!!

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें