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अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सच्चा प्रेम

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 सच्चा प्रेम अकेलेपन में भी प्रेम का आभास दिलाता है, जबकि दिखावे का प्रेम साध रहकर भी अकेलेपन का एसहास करवाता है..!!

भाग्य और प्रेम

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 अक्सर यही होता आया है जग में, जिससे प्रेम बेहिसाब, बेइन्तहा हो जाता है, उसे हमारे भाग्य से ही दूर कर दिया जाता है, किसी न किसी कारण से भी, नियती अपने हाथों कुछ दोष नही लेती, बस जरिया कुछ भी बना देती है, हमें हमारे प्रेम से दूर करने के लिए..!!

दो जिन्दगियाँ

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 एक ही जिन्दगी में दो जिन्दगियों को जीना होता है महफिल में लवों पर मुस्कुराहट को गहने की तरह सजाना तो तन्हाई में आंखों के अश्कों को सीने से लगाना होता है. शायद इश्क नाम इसी का होता है..!

तुम अजनबी लगे ही नही

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 किसी भी अजनबी से डरता था जो दिल, ना जाने उसे तुझ में क्या अपनापन दिखा कि, तुम कभी अजनबी लगे ही नहीं....!!

मेरी चाहत

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 चांदनी रात की मीठी मीठी रोशनी में, जब चाँद अपनी चंचल चाँदनी बिखेर रही हो सर्द हवा जब हल्के-हल्के शरमाई हुई सी बह रही हो, हवा में खुशबु सी फैली हो,  घंटों तलक मैं बैठना चाहती हूं तुम्हारे साथ, तुम्हारे कंधे से सिर टिकाए बैठे रहना चाहती हूं, पवित्र गंगा के घाट पर, पानी से अठखेलियाँ करते अपने पैरों को देखते हुए, पुरसुकून के कुछ पल गुजारना चाहती हूं, अपनी सारी उलझने और तकलिफों से निजात पाना चाहती हूं, दिन भर की थकान को अपनी मैं मुंह चिढाना चाहती हूं, और चाहती हूं मैं कि उस पल तुम भी भूल जाओ, अपनी सारी परेशानियाँ, जीवन की सारी उतार-चढा़व, बहते हुए गंगा की पानी को बस देखते रहो, तुम मेरे साथ बैठकर...!!

हृदय, प्रेम और तुम

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 एक हृदय, एक प्रेम और एक तुम.. प्रेम से वंचित हृदय प्रेम-विहिन ही रहा, और तुम अपरिचित से ही बने रहे संभवतया अपेक्षाएं ही अत्याधिक हो गई थीं.. तुमसे मेरे कोमल हृदय को. स्वकल्पित ही था शायद तुमसे प्रेम मेरा, फलतः मुक-बधिर ही बना रहा यह अन्ततः,

तुम्हारी याद और मैं

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 कभी कभी यूं लगता है जैसे तुमने मुझे याद किया है, और फिर अनायास ही मुझे तुम्हारी याद आ जाती है, न जाने क्युं मन बेचैन, व्यग्र सा प्रतित होने लगता है, यूं लगता है जैसे, बेहद किमती सा कुछ गुम सा गया है, हवा की सरसराहट में लगता है जैसे तुमने मेरा नाम लिया है, और फिर मन में आता है कि जिस हाल में हूं उसी हाल में, एक दौड़ लगा दूं तुम्हारी तरफ और तुम तक पहुंच जाऊं, तुमसे तुम्हारा हाल पुछूं, तुम्हे अपने हाल बताऊं, पर फिर मन मसोस कर मैं रह जाती हूं, ये सोच कर कि, अब शायद ऐसे हालात नही हम दोनों के बीच, अब हम एक दुसरे से दूर रहकर, एक दुसरे को भूल कर ही, यथार्थ की धरा पर रह सकते हैं, एक दुसरे को मन में बसाए..

ये कैसा रिश्ता है

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 ये कैसा रिश्ता है जो तुम्हारे और मेरे बीच है, तुम मेरे साथ न होकर भी हर लम्हा मेरे साथ हो, तुमसे बाते न भी हो तो, मैं तुम्हे ही सोच रही हूँ, आँखें बन्द करती हूँ तो, तुम्हे महसुस करती हूँ, न तुमने कुछ कहा है, न मैने कुछ कहा है, फिर भी यूँ लगता है जैसे हम दोनो ने, कुछ वादे कर लिए हैं एक दुसरे से, और जिन्हे पुरी शिद्दत से निभाने में मै लगी हुई हूँ, तुम्हे सोचती हूँ तो, तुम्हारा स्पर्श महसुस करती हूँ, ये कैसा जज्बात है, तुम्हारे और मेरे दरम्या, जिसे न कभी तुमने बयां किया है न मैने कभी, फिर भी यूँ लगता है कि बहुत कुछ है ऐसा, अनकहा और अनसुना हम दोनो के बीच में, जो बाँधे हुए है हम दोनो को एक डोर से,

एक वीराने की तलाश

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 ऐसे एक वीराने की तलाश में हूँ मैं,  जहाँ तेरा एहसास तक न हो, जहाँ तेरी कोई यादें न हो, जहाँ तेरी बातें न हो, जहाँ सिर्फ मैं रहूं, और मेरा साथी बने कोई तो, वो हो सिर्फ और सिर्फ मेरी तन्हाई, मेरे साथ हो कोई अगर तो, वो हो सिर्फ मेरी परछाई, कुछ पल मैं यूँ भी जीना चाहती हूँ..!!

दिक्कत समझदार होने की

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 बहुत समझदार होने की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि हर शख्स आपको अपनी परिस्थिति समझा के बच निकलता है और आप क्या महसूस कर रहे किसी को बता नही पाते !!

मुझे अच्छा लगता है.

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 सुनो न, अच्छा लगता है मुझे तुममें ही खोये रहना, खुद ही खुद में तुम्हे सोच कर मुस्कुराना, हर पल, हर लम्हा बस तुम्हे ही सोचना, आईने में खुद को निहारते तुम्हारी बाते करना, तुम्हारे प्यार के रंग में खुद को रंगना, तुम्हारे ख्यालों में, ख्वाबों में खोये रहना तुम्हे सोच कर हंसना, तुम्हे सोच कर आँसु बहाना, तुम्हारे शबनमी एहसास को शब्दों में पिरोना, तुम्हारे न होने पर भी खुद को तुम्हारे साथ महसुस करना, तुम्हारे लिए ही सजना और संवरना, क्या ये ही इश्क है..? अगर हाँ तो..... सच है ये कि मुझे तुमसे इश्क है, बेपनाह, बेइन्तहा, बेहिसाब, बेसबब इश्क है..!!

तिरंगा

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 हर घर तिरंगा अच्छी बात है, बहुत अच्छी बात है, पर ध्यान रहे बस इस बात का कि १५ अगस्त, स्वतन्त्रता दिवस के अगले दिन कहीं हम तिरंगा का निरादर न कर बैठे. तिरंगा हमें किसी गली-मुहल्ले के सड़क या चौराहे पर गिरा हुआ न मिले, कचडे़ के ढेर पर फेंका हुआ न मिले. तिरंगे की शान में हम सिर्फ एक दिवस का दिखावा या ढकोसला न करे क्योंकि देशभक्ति दिखावा नही एक जज़्वात है जो हमारे हृदय में होनी चाहिए...देशभक्ति हमारे रक्त में संचारित होनी चाहिए... देशभक्ति हमारे दिल में धड़कना चाहिए....!!

अब भी याद है मुझे

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 मुझे अब भी याद है तुम्हारा मुझसे मिलना यूँ पहली बार, सच कहूँ तो तुम्हारा मुझसे मिलना मात्र संयोग नही है, अवश्य ही सृष्टि ने कुछ तो सोच ही रखी थी, हम दोनों के लिए..कोई तो योजना रही ही होगी उस रब की... तुम्हे चाहना, न चाहना, भला मेरे बस की बात कहां थी, दिल ने तुम्हे देखा और स्वीकृति की मुहर लगा दी, तुम्हे छोड़ फिर किसी और के बारे में सोच भी ना सका... कैसे और कब दिल तुम्हारा हो गया, मुझे पता तक न लग सका..

कशिश जिन्दगी की

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 कशिश ज़िंदगी की कुछ इसलिये भी बरकरार है !! क्योंकि कहानी में बाकी अब भी एक इंतज़ार है

रिश्ते

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 कुछ रिश्ते बनाये नही जाते.... वो बिना बताये दिल के पास आकर थम जाते हैं...!!!

मेरी डायरी के ...

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 मेरी डायरी में लिखी सारी बातें बेमतलब की पढ़ गये तुम.. पढ़ न सके मेरी आँखों में छुपी चाहत अपने लिए तुम..!!

हर सांस में तू

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 अपनी हर साँस में तुम्हे जीना चाहती हूँ मैं.. प्रेम के हर शब्द में तुम्हारा अक्श देखना चाहती हूँ मैं...

प्रेम का रंग

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  प्रेम कुछ ऐसा रंग दिखा रहा है अपना मुझपर, मुझे लग रहा है जैसे मैं 'तुम' सी हो चली हूँ और तुम. 'मुझ' से.. इस प्रेम परिधि में 'मैं' और 'तुम' का जैसे कोई भान ही न रहा.. तुमने मुझको और मैंने तुम्हे ज्यो खुद में आत्मसात सा कर लिया है, एक दुसरे का मन-दर्पण बन एक दुसरे में स्वंय को देखना अब भाने सा लगा है...